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जाने क्यों शिवराज सारणी नहीं आए

जाने क्यों शिवराज सारणी नहीं आए

क्या सारणी को नहीं मिलेंगी 660 मेगावाट इकाई की सौगात

सारनी। शिवराज सिंह चौहान बैतूल आए, बैतूल में विभिन्न योजनाओं के हित लाभ वितरित किए किंतु चौहान सारणी नहीं आ पाए। सूत्रों की माने तो यह एक बड़ी वजह बताई जा रही है की वे सारनी इसलिए नहीं आए, क्योंकि उन्होंने पिछले कुछ सालों में सारणी को 660 मेगावाट की नई इकाई की सौगात देने की घोषणा की थी जो कि अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। 

Sarni power plant 


सारनी क्षेत्र के विधायक बार-बार उनसे मिलने जाते हैं, किसी और काम से। अखबारों में प्रेस नोट जारी करते हैं कि मैं सारनी की 660 मेगावाट इकाई की सौगात लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करने गया था। कुछ लोग जानना चाहते हैं की साहब आप 660 मेगावाट लगाने के लिए कितने बार चर्चा करोगे। यह सवाल पब्लिक के जेहन में आ रहा है। पिछले ही दिनों नए- नवेले नगर पालिका अध्यक्ष किशोर बरदे और विधायक जी शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करके आए थे और अखबारों में इस प्रकार की खबर छपी की  660 मेगा वाट इकाई लगाने के बारे में चर्चा करने गए थे। लेकिन गुप्त सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है कि विधायक  ने सारनी नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्येक पार्षद उम्मीदवार को यह भरोसा दिलाया था कि चुनाव के बाद सभी को एक बार शिवराज सिंह चौहान से मिलाया जाएगा। यह बात सत्य है या असत्य है? यह कह पाना मुश्किल है हम इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं। लेकिन एक बात तो साफ नजर आती है की विधायक बने तीन साल से ज्यादा समय बीत चुका है। उनका कार्यकाल पूरा होने में कुछ ही समय शेष रह गया है किंतु अब तक नवीन इकाई स्थापना हेतु कोई ठोस सबूत सामने नहीं आ पाया है। क्या इस बार भी 660 मेगा वाट पावर प्लांट मात्र एक मृगतृष्णा ही साबित होगा? खबर पाठकों के लिए हम मृगतृष्णा का अनुवाद बताना चाहते हैं।

तृष्णा शब्द का अर्थ प्यास होता है।

पर जब इस के आगे, यानि उपसर्ग के रूप में मृग लगाया जाता है तो इस का साधारण अर्थ मृग की प्यास हो जाता है।

जब अत्यधिक गर्मी पड़ती है तो सूर्य की किरणों के प्रवर्तन के कारण दूर जहां पानी नही होता है वहां पानी दिखने लगता है और हिरन इस भुलावे में आकर उधर पानी के लिए भागने लगता है, पर वहां पानी नही होता है।

इसी प्रकार मनुष्य भी जिन वस्तुओं या व्यक्तियों आदि के पीछे पागल हो कर भागता है पर वे वस्तविक नही होती हैं या सिर्फ एक भ्रम होती हैं। इसे ही मृगतृष्णा कहते हैं, यानि जो है नही उस के पीछे पागल होना यही मृगतृष्णा कहलाती है।

यही सब आजकल सारणी की जनता के साथ हो रहा है।

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